आयुर्वेद की मशहर पुस्तक सुश्रुत संहिता में जानवरों तथा इन्सान के वीर्य का विधान भी मिलता है,
दूध से निकाले घी में पिप्पली और लवण के साथ बकरे के अंडकोशों को अंड सिद्ध करके जो पुरूष खाता है वह एक सौ स्त्रियों से रमण कर सकता है
पिप्प्लीलवणोपेते बसण्डे क्षीर्रसपिषि
साधिते भक्ष्येमद्यस्तु स गच्छेत् प्रमदाशतम
---- सुश्रुत संहिता, चिकित्सा स्थानम 26/20
अर्थात दूध से निकाले घी में पिप्पली और लवण के साथ बकरे के अंडकोशों को अंड सिद्ध करके जो पुरूष खाता है वो एक सौ त्रियों से रमण कर सकता है
पिप्प्लीलवणोपेते बस्ताण्डे घृतसाधिते
शिशुमारस्य वा खदेत्ते तु वाजीकरे भृशम
कुलारकूर्मनक्राणाण्डान्येवं तु भक्षयेतृ
महिषर्षभबस्तानां पिबेच्दुकाणि वा नर-
---- सुश्रुत संहिता, चिकित्सा स्थानम 26/25-27
अर्थात घी में तले हुए बकरे के या शिश्ुमार (उदबिलाव) नामक जंतु के अंडकोशों को पिप्पली और सैंधा नमक के साथ खाएं, ये अतिशय वाजीकर (सेक्स शक्ति बढाने वाले) हैं, केकडा, नक्र(घडिया) के अंडकोशों को भी इसी प्रका खाएं अथ्वा, भैंसे, बैल या बकरे के वीर्य को पीएं
हाथी,चीते और सांप की खाल से तव्चा के रोग दूर किये जा सकते हैं, तो सांप की खाल से फुल बहरी, अस्थियों की राख से शर्करा नष्ट किया जा सकता है, जिन्दा मछली से अस्थमा का इलाज शायद यह किताब पढ कर ही किया जा रहा है
5 comments:
धन्यवाद नवल जी, इतनी अच्छी जानकारी के लिए। ऐसे ही हमारे ग्रंथो की कमियोँ को उजागर करते रहेँ। धन्यवाद
सत्य
ye jaankari kaha se mili sir ji, aaj tak log ye batate nahi
jankari ke liye dhanyawad
naval ji aap quran ko maante hain, ya muslim hi hain, aapke vichar se lagta hai ki aap muslim ho gaye hain, ye bhi ho sakta hai ki aap hindu hi ho, kyonki ek hindu hi aisa likh sakta hai, sadbhawna uske khun me hai.
aaryabhatt aur bhaskaracharya ke baare me bhi shodh karen....
khuda hafiz. ya allah khair kare.
गंद खाकर यदि आपने कुछ कामयाबी हासिल कर भी ली तो क्या होगा भोगे रोग भयं अत परमात्मा ने जो खाने के उचित साधन दिए हैं उसे शाकाहार दिया है उसे खाओ और सुख से जियो
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